सीतामढ़ी। हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व है। इसे जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु की कामना और खुशहाली के लिए करती हैं। इस संबंध में जिले के प्रख्यात तांत्रिक पंडित गिरिधर गोपाल चौबे ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। यह त्योहार तीन दिन तक चलता है। पहले दिन नहाए खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत पारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल ये व्रत 17 सितंबर के दोपहर से शुरू होगा और 19 सितंबर तक चलेगा। व्रत पारण 19 सितंबर को किया जाएगा। काशी विश्व विद्यालय पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी और 18 सितंबर को दोपहर 04 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी।वही मिथलांचल पंचाग के अनुसार 17 सितंबर शनिवार को दिन में 3:05 के बाद अष्टमी तिथि हो जाएगा और 1 तारीख रविवार को 4:49 तक अष्टमी रहेगा। वही पारण 19 तारीख सोमवार प्रातः काल 5:57 के बाद करें। उदया तिथि के अनुसार, 17 सितम्बर को नहाए खाए, 18 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाएगा। 19 सितंबर की सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत पारण किया जा सकेगा।
हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का विशेष महत्व है। इसे जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं
