सीतामढ़ी जिला के बथनाहा थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव जिस गांव में बड़े बड़े ऊंचे वोहदे वाले लोग कितने साहब रहते हैं पर उसी गांव के एक युवक कर्मठ,ईमानदार,पत्रकार रति कांत झा की पत्नी जिंदगी और मौत से जूझ रही है ।
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आपको भगवान् की सौगंध। रूठिएगा नहीं! मेरे लिए अकेले यात्रा संभव नहीं हो पाएगा। 26 साल के सागर जितना अथाह स्नेह और सेवा का बोझ डाल कर रूठिएगा नहीं। हाथ जोड़ता हूं 🙏। आपके लिए कोई भी तपस्या और कोई भी बलिदान सिर-माथे पर है। जगत के आगे कुछ भी करने और कितना भी गिरने को तैयार हूं। बस आप साथ निभाने का वचन मत तोड़िए। आप
कई दिनों से अचेत नींद में सो रही हैं। कई दिनों से चुप हैं। न बोलती हैं, न देखती हैं, न मुझे पहचानतीं हैं, न खाती-पीती हैं। और मैं कैसा अभागा हूं कि आपके लिए रो के भी दो-तीन रोटियां खानी ही पड़ती है। गत तीन रात सोने का अवसर नहीं मिला। आज की भी आधी रात बीत चुकी है, तिथि बदल चुकी है और रात के लगभग डेढ़ बज रहे हैं, परंतु आपके पास नहीं हूं, इसलिए आपकी चिंता सोने नहीं दे रही है। बड़े बेटे से आस लगाया था, तो भगवान ने बालिग होने से पहले ही उसकी बुद्धि भी भ्रष्ट कर दिया और वह भी बिछड़ गया। जब पुलिस उसे ले जा रही थी तो आपने उसका पैर छान लिया। सड़क पर पुलिस वाले उसे खींच रहे थे और आप उसके पैर के साथ धरती पर घिसट रही थीं। आज उस दृश्य की स्मृति मेरे कलेजे को चीर रही है। साथ नहीं छोड़ियेगा! दोनों बेटियां अपने-अपने मूल घर को जा चुकी हैं। अब तो जीवन जीने का एकमात्र कारण आप ही हैं। परंपरानुसार, दोनों बेटे भी बिछड़ चुके हैं। जिस काम से आया हूं, उसे संपन्न कर मैं आज ही लौट आ रहा हूं। मेरा रास्ता ताकियेगा 🙏।
भगवान! आपसे कोई शिकायत नहीं करुंगा, क्योंकि आप शाश्वत सत्य हैं। जितनी इच्छा है, उतना दंडित कर लें, परंतु कोई बड़ी चूक स्मरित नहीं हो रहा। मनुष्य हूं तो भूल-चूक करने की बुद्धि भी तो आपने ही दी है? कहीं ऐसा न हो कि अगली परीक्षा में फेल हो जाऊं।


