- अमित कुमार की रिपोर्ट
- सीतामढ़ी: श्रीसिद्धपीठ अघोर आश्रम बगलामुखी साधना केंद्र डकरामा। सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर हाईवे के खनुआ घाट से सटा सिद्धि-शक्ति और साधना की स्थली के रूप में अंतर राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। कहते हैं कि इस स्थान पर पहुंच माता का दर्शन करना ही मुश्किल है। अगर कोई पहुंच कर माता के दरबार में मत्था टेक ले तो उसकी सारी परेशानी दूर हो जाती है। वहीं मन्नतें भी पूरी होती है। यहां दर्शन मात्र से सुख, शांति, समृद्धि और संतति का लाभ मिलता है। ऐसी मान्यता हैं कि डकरामा स्थित मंदिर में नवमी पर होने वाले हवन में भाग लेने पर नि:संतान को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है। यहां चार मानव खोपड़ी पर माता दुर्गा, दक्षिण काली और माता बगलामुखी विराजमान है। माता का लकड़ी का मंडप नेपाल के तत्कालीन जिलाधिकारी प्रमोद थापा द्वारा नेपाल से बनवा कर भिजवाया था।
- सीतामढ़ी-मुजफ्फपुर हाईवे के खनुआ घाट से डेढ़ किमी की दूरी पर डकरामा गांव में अवस्थित श्री सिद्धपीठ अघोर आश्रम बंगलामुखी साधना केंद्र की स्थापना चार दशक पूर्व पूर्व स्वामी शिवजी सिंह ने की। अघोरपंथी संत स्वामी नारायण से दीक्षा लेकर कठोर तपस्या के जरिए माता दक्षिण काली के आर्शीवाद से वाकसिद्ध संत के रूप में ख्यात स्वामी शिवजी सिंह ने जन कल्याण के लिए सेंट्रल बैंक की बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ दी। 14 अक्टूबर 1952 को डकरामा गांव में जन्मे शिवजी सिंह का बचपन अभाव के बीच बीता। बचपन में ही पिता की मौत के बाद उन्होंने भगवान शंकर को अपना सब कुछ मान लिया एवं आराधना में जुट गए। अब बैंक की नौकरी छोड़कर बाबा शिवजी सिंह न केवल शक्ति की साधना कर रहे हैं बल्कि तंत्र साधना के जरिए लोगों की जिदगी में सुख शांति एवं समृद्धि की कामना कर रहे हैं। स्वामी शिवजी सिंह साल के चारों नवरात्र बगैर अन्न-जल के करते है।

प्रति वर्ष चारो नवरात्र में यहां हजारों की संख्या में देश के सभी कोने से मुरादे लेकर आते हैं। भक्ति भाव से पूजा अर्चना करते हैं। यहां की पहचान सात्विक पद्धति, बगलामुखी आराधना एवं अघोरपंथ है। ऐसी मान्यता है कि जिसने भी सच्चे दिल से यहां कुछ भी मांगी उसकी मन्नत पूरी होती है। मन्नत पूरी होने पर दोबारा आकर मां का दर्शन करते हैं। साथ ही मंदिर में बाजा बजबाते है। कहते हैं कि, यहां मुर्दे में भी जान आ जाते है।

इस तरह की दर्जनों चमत्कार के किस्से इलाके के लोगों की जुबान पर है।साधक बाबा शिवजी सिंह, कहते है कि कठिन तप से सिद्धियां प्राप्त की है, अपने गुरु एवं मां की कृपा से जन कल्याण कर रहा हूं। माता की शक्ति और जन कल्याण से अपार शांति मिलती है। मां का दरबार हमेशा खुला रहता है। नवरात्र ही नहीं सालों भर यहां माता के इस रूप का दर्शन किया जा सकता है।




