हेमा सिंह मुजफ्फरपुर बिहार की कलम से
नूतन वर्ष अभिनंदित हों!
हर बाग सुमन से सज्जित हो !
तम हो न कहीं पर रंजिश हो !
बस प्रेम हृदय में संचित हों!
मन के अंबर अंतस्थल में,
नूतन सपनें आगंतुक हों !
नव कली, नया दिन उदित हों!
नूतन वर्ष अभिनंदित हों !
गम हो न कहीं पर बंदिश हों!
सब उत्साहित ,आनंदित हों!
दुष्टों की नियत खंडित हो!
नूतन वर्ष अभिनंदित हों !
नयी सुबह, नया कल मंगल हों !
सब विघ्न बाधा का खंडन हों!
आँखों में सुख का अंजन हों!
अब सभी दुखों का भंजन हों!
मंजिल में ना कोई अड़चन हों!
ना किसी के दिल में खंजन हों! !
ना झूठे नाते बंधन हों!
बस संबंधों में अर्पण हों!
देवों की महिमा से मंडित हों!
संवेगों से संबंधित हों !
ज़ड़ -चेतन से भी टंकित हों !
अब नहीं यहाँ कोई वंचित हों!
नूतन वर्ष अभिनंदित हों!
तम हो न कहीं पर रंजिश हो!
बस प्रेम हृदय में संचित हों!!
अब नहीं कोई सहमा -सहमा,
और नहीं कोई आतंकित हों!
हो प्रेम जगत का सार यहाँ
प्रेमिल जग में आलोकित हों!