अमित कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी, कला- संगम एवं पं० चंद्रशेखर धर शुक्ल साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को डुमरा स्थित स्वच्छता प्रौद्योगिकी उद्यान में लेखन कार्यशाला सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिला लेखा पदाधिकारी प्रिय रंजन राय के संयोजकत्व एवं वरिष्ठ कवि रमा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के युवा ने हिस्सा लिया। संचालन गीतकार गीतेश ने किया। कार्यशाला में सुबोध कुमार ने कविता लेखन की बारीकियों पर प्रकाश डाला साथ ही कहा कि कविता लिखने के पहले कविता में जीना होगा।कविता का क्षितिज अनंत है,जिसमें जितनी संभावना होगी वह उतना ही दूर जाएगा । कविता समाज को दिशा देती है। संवेदना और एहसास की जमीं पर ही कविता के पौधे पल्लवित और पुष्पित होते हैं।
कवि-सम्मेलन का आगाज करते हुए गीतकार गीतेश ने अपनी रचना ‘सवाल में उलझो न जवाब में उलझो , काटों में उलझो न गुलाब में उलझो ,ये उम्र है नया इतिहास लिखने का , उलझना है तो किताब में उलझो ‘ से युवाओं को नसीहत दी। मो० कमरुद्दीन नदाफ की ग़ज़ल ‘आंखों के चिरागों में उजाले ना रहेंगे, आ जाओ कि फिर देखने वाले न रहेंगे’ ने महफिल को गति प्रदान की। युवा कवि कृष्णनंदन लक्ष्य की प्रेमपरक रचना ‘मैं ही नहीं हूं सिर्फ तुम्हारे इश्क में घायल, जमाना हो गया है तुम्हारे हुस्न का कायल’ ने माहौल को जवां बना दिया। मुंबई यूनिवर्सिटी से आए युवा कवि यशवीर सिंह की ‘हंसकर जिसके लफ्जों को तुम पढ़ा करती हो, वो अपनी गजलों से तुमको इशारा कर रहा है’, दिल्ली विश्वविद्यालय के चर्चित युवा कवि रजनीश रंजन की कविता ‘चल रे केवट पार करा दे, ये नावों का देश, उस पार मेरे पिया बसे हैं, उमर नहीं अब शेष’ एवं कोटा से आए युवा कवि प्रणीत प्रकाश की रचना ‘जबसे तुम्हें चाहने लगे हैं, नजर पे नजरों के निशाने लगे हैं’ ने भरपूर वाहवाही बटोरी ।प्रिय रंजन राय की ‘हकीकत से जो नजरें फेर लेते हैं, उसके ख्वाबों में टहल कर क्या करूं’ एवं रमाशंकर मिश्र की कविता ‘कोई मजनू समझता है, कोई फरहाद कहता है,कोई रोमियो और जूलियट की औलाद कहता है’ ने महफिल में इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी।