सीतामढ़ी उपेक्षित अति पिछड़ा आरक्षण बचाओ जन जागरण अभियान के तहत उपेक्षित एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग संघ सीतामढ़ी के पुपरी अनुमंडल स्तरीय चिंतन बैठक स्थानीय रानी सती पेट्रोल पंप पुपरी के पास आवासीय मकान में अनुमंडल संयोजक रामधारी महतो की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में कर्पूरी के मूल अति पिछड़ा के साथ सभी राजनीतिक दलों, राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा धीरे-धीरे प्रदत अधिकार को समाप्त कर पुनः गुलाम बनाने की साजिश पर आक्रोश व्यक्त किया गया। बैठक के मुख्य अतिथि अति पिछड़ा आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय सदस्य कामरेड कुमार बिंदेश्वरी सिंह ने कहा कि देश में पिछड़े वर्गों की कुल आबादी 52% से अधिक है ,जिसमें अति पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 46% है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अति पिछड़ा वर्ग की अलग पहचान कर संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने के कारण यह बहुसंख्यक वर्ग समावेशी विकास के दौर में काफी पीछे है। नरेंद्र मोदी की सरकार के द्वारा अक्टूबर 2017 ई में राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ा वर्ग का वर्गीकरण कर अति पिछड़ा वर्ग की पहचान के लिए जस्टिस जी रोहिणी की अध्यक्षता में 5 सदस्य कमेटी का गठन किया। जिससे 10 माह के अंदर रिपोर्ट को पेश करना था। लेकिन सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाले मोदी सरकार के द्वारा अभी तक 13 बार उक्त आयोग की समय सीमा बढ़ाई गई । एक साजिश के तहत केंद्र सरकार देश के बहुसंख्यक आबादी को न्याय देने में नाइंसाफी कर रही है। इसके खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर 27 मार्च को संसद भवन का घेराव करने के लिए जंतर मंतर दिल्ली में अधिक से अधिक संख्या में आने का आह्वान किया। राजेंद्र महतो चंद्रवंशी ,जिला संयोजक ने कहा कि कर्पूरी के अति पिछड़ा वर्ग के हितों का सबसे बड़ा विरोधी मध्यवर्ती पिछड़े वर्ग के शासक जातियों के नेता है। जो सिर्फ कर्पूरी जयंती मना कर अति पिछड़ा वर्ग के हितों के लिए घड़ियाली आंसू बहाते हैं। लालू -नीतीश की संयुक्त सरकार ने 2015 ईस्वी में बिहार में व्यवसायिक वर्ग के संपन्न तेली ,दांगी एवं अन्य जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कर कर्पूरी के अति पिछड़ा के साथ अन्याय किया। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि 2015 के बाद अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कुछ जातियां ही कर्पूरी के अति पिछड़ा के आरक्षण को लूट रहा है। नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के सवाल पर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग की जातियों को आरक्षण की श्रेणी से हटाकर राजनीतिक अधिकार से वंचित पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग की शेष जातियों को आरक्षण देने का आदेश दिया। बावजूद नीतीश सरकार द्वारा अति पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडिकेटेड आयोग का दर्जा देते हुए कागजी खानापूर्ति कर रिपोर्ट को प्रकाशित किए बिना माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर नगर निकाय का चुनाव जबरन कराया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आयोग को डेडीकेटेड आयोग माना ही नहीं।अब पुनः सुप्रीम कोर्ट द्वारा उक्त मामले की सुनवाई पटना हाईकोर्ट में करने का आदेश दिया है। जिसपर अति पिछड़ा आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा बिहार के संयोजक मंडल सदस्य किशोरी दास, प्रोफेसर रामबली सिंह चंद्रवंशी ,एवं महेंद्र भारती द्वारा रिट याचिका दायर की गई है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों एवं राज्य तथा केंद्र सरकार के अति पिछड़ा विरोधी गलत नीतियों का विरोध करते हुए तमाम कर्पूरी के अति पिछड़ा को गोलबंद होकर राजनीतिक विकल्प तैयार कर सत्ता की चाभी अपने हाथों में लेने का आह्वान किया। बैठक में राकेश चंद्रवंशी, सीताराम मालाकार ,अरुण कुमार, अशोक कुमार, अंजीरा पंडित ,अखिलेश कुमार, राम लाल महतो ,रविंद्र कुमार, रामकृष्ण महतो, राजेंद्र पंडित, राजेश महतो, प्रेम महतो, सत्येंद्र कुमार सहनी, पप्पू महतो, भरत मंडल, मोहम्मद कौसर अली, राजू कुमार महतो, बुधन कुमार ,संजय कुमार, राजा कुमार ,अनवारूल हक ,सादिक शाह, अंसारुल राईन, देवेंद्र ठाकुर ,शैलेंद्र महतो, सुनील राउत,शोभित मुखिया, राकेश कापर, रामबाबू शर्मा, रामाशीष महतो,करुण नट,अनिल पाल, शंभू भंडारी,सोनू मंडल , कैलाश मंडल, अशोक दास, बैजू साह,सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।