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विश्व् डाउन सिंड्रोम दिवस के अवसर पर आरोग्या के द्वारा दिव्यांगन केंद्र पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

ByFocus News Ab Tak

Mar 21, 2023

डाउन सिंड्रोम दिव्यांगों में फिजियोथैरेपी कारगर- डॉ राजेश


प्रत्येक 800 मे 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम दिव्यांग

भारत सरकार कि निरामया स्वस्थ्य बीमा योजना का लाभ ले डाउन सिंड्रोम दिव्यांग के अभिभावक- डॉ राजेश



डाउन सिंड्रोम बच्चों की एक गंभीर समस्या है, जिससे उनका शारीरिक विकास आम बच्चों की तरह नहीं हो पाता। उनका दिमाग भी सामान्य बच्चों की तरह काम नहीं करता। कई बार उनके व्यक्तित्व में कुछ विकृतियां दिखाई देती हैं, लेकिन फिजियोथेरेपी, प्यार और अच्छी देखभाल से ऐसे बच्चों को सामान्य जीवन दिया जा सकता है।

विश्व् डाउन सिंड्रोम दिवस के अव्सर पर दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही राष्ट्रीय न्यास से
निबंधित जिले कि संस्था आरोग्या फाउंडेशन फॉर हेल्थ प्रमोशन एवं कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन के द्वारा डुमरा रोड मे सन्चालित दिव्यांगन के निदेशक सह् फिजियोथेरेपिस्ट चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सुमन ने बताया कि समाज में डाउन सिंड्रोम के प्रति जानकारी व जागरूकता का बहुत ही अभाव है।प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को समाज में जागरूकता के उद्देश्य से पूरे विश्व में डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। डॉ राजेश ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन नेशनल ट्रस्ट डाउन सिंड्रोम दिव्यांग जनों के लिए भी कार्य कर रही है, जिस की योजनाओं के बारे में आरोग्या फाउंडेशन लोगों में जागरूकता पैदा करेगी। इस अवसर पर डॉ राजेश ने उपस्थित् दिव्यांग जनो के अभिभावको को बताया कि डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक समस्या है, जो क्रोमोजोम की वजह से होती है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो सामान्यतः गर्भावस्था में भ्रूण को 46 क्रोमोजोम मिलते हैं जिसमें 23 माता व 23 पिता के होते हैं। लेकिन डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में 21वे क्रोमोजोम की एक प्रति ज्यादा होती है, यानी उसमें47 क्रोमोजोम पाए जाते हैं, जिससे उनका मानसिक व शारीरिक विकास धीमा हो जाता है और कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। डाउन सिंड्रोम के दिव्यांगों में मानसिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है। सामान्य जनसंख्या में डाउन सिंड्रोम की संभावना 800 में से 1 में होती है।

मनोवैज्ञानिक परामर्शी मधुरिमा रानी एवं संस्था की फिजियो डॉ अपेक्षा पंखुरी ने बताया कि डाउन सिंड्रोम के बच्चे देखने में साधारण बच्चों से भले ही अलग लगे, लेकिन उनमें भी वही बचपना, समझ होती है, कुछ चीजें समझने में उन्हें थोड़ा ज्यादा वक्त लगे, लेकिन उन्हें कमजोर समझना गलत है। यह बच्चे साधारण रूप से खेलकूद सकते हैं लेकिन उनका दिल नाजुक होता है, इनमें ह्रदय रोग की संभावना ज्यादा होती है, कमजोर आंखे एवं सुनने में भी परेशानी होती है।

संस्था के स्पीच थेराॅपिस्ट डॉ निखिल प्रजापति ने अन्य अभिभावकों को प्रेरित करते हुए बताया कि दिव्यांगों के लिए परेशानियां तो बहुत हैं लेकिन उनके माता-पिता उन्हें उत्साहित करें, प्यार दे एवं सकारात्मक रवैया अपनाएं तो यह परेशानी खत्म हो सकती है। अभिभावक खुद को कुंठित महसूस ना करें, जीवन की चुनौती मानकर थैरेपिस्ट की मदद उसे स्वाबलंबी बनाएं।

इस मौके पर बच्चों के बीच केक काटा गया साथ ही मिठाई व् बिस्किट बाँटे गए। मौके पर संस्था मे कार्य कर रहे डॉ उत्पला, सुगंधा, बबन कुमार, अदिति, ममता,विकलांग उपकरण केंद्र के पी के मिश्रा, प्रिन्सी पांडे, सौम्या, आर्जव समेत दिव्यांग बच्चे व् उनके अभिभावक उपस्थित थे।

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