अमित कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी,बिहार दिवस के अंतिम दिन शुक्रवार को पुनौरा धाम परिसर से हेरिटेज वाक का आयोजन किया गया। जिसे डीडीसी विनय कुमार, एसडीओ राकेश कुमार, डीसीएलआर ललित कुमार सिंह, डीपीओ सुभाष कुमार व डॉ. अमरेंद्र पाठक ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस दौरान बच्चों की ने हलेश्वर स्थान में खुदाई से निकले करीब 200 साल पुराना मिट्टी के बर्तन के अवशेष को देखा। इतिहासविद रामशरण अग्रवाल ने अधिकारियों एवं बच्चों को खुदाई से मिले मिट्टी के वर्तन के अवधेश के बारे में कई जानकारी दी। डीडीसी ने कहा की हेरिटेज का मतलब होता है विरासत व परंपरा। स्कूल में बच्चे अनुशासन सिखते है। लेकिन, सांस्कृति विरासत व परंपरा हम अपने पूर्वजों से ही सिखते है। जरूरत है हमें अपनी कला व परम्पराओं को पहचानने का। हेरिटेज वाक का मतलब है आसपास के धरोहर व संस्कृति को पहचानना व उसके बारे में समझना।

मूर्त विरासत में मंदिर व मस्जिद व खुदाई से निकल अवशेषों को देखकर समझते है और अर्मूत विरासत जैसे दादी, नानी द्वारा विभिन्न आयोजनों पर गाये जा रहे परंपरा गीत आदि को सुनकर व अनुभव करके समझते है। इस दौरान उन्होंने
हेरिटेज वाक में शामिल बच्चो को अपना अनुभव लिखकर प्रधानाध्यापक के माध्यम से शिक्षा अधिकारीयो को सौपेंगे। वही डीपीओ को इस कार्यक्रम में शामिल सभी बच्चों को प्रशस्ति पत्र देने व बेहतर अनुभव लेखन में सर्वश्रेष्ठ तीन बच्चों को मेंडल देकर पुरस्कृत करने का निर्देश दिया।इस दौरान बच्चों में काफी उत्साह देखा गया। मौके पर बीडीओ अमरेंद्र कुमार, बीईओ रामानंद सिंह, संभाग प्रभारी श्रीनारायण सिंह, संजय कुमार मधु, संजय कुमार पाठक, नीरज गोयनका, धर्मेन्द्र कुमार, त्रिपुरारी शरण, सुधीर कुमार, हरिशंकर प्रसाद बबलू, श्रवण कुमार, रामाशंकर शास्त्री आदि ने सराहनीय भूमिका निभाई।