अमित कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी : सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर हाईवे के खनुआघाट के पास स्थित श्री सिद्धपीठ अघोर आश्रम डकरामा स्थित माता से दरबार से कोई निराश नहीं जाता है। कहते हैं कि यहां माता के दर्शन और मत्था टेकने मात्र से हर मन्नत पूरी होती है। यहां आस्था से जुड़ी कई आश्चर्यजनक कहानी भी है। कहते है कि यहां लाए गए मुर्दे भी दोबारा जी उठे थे। इसकी चर्चा गांव और आसपास के लोगों की जुबान पर है। कहते हैं कि इस स्थान पर पहुंच माता का दर्शन करना ही मुश्किल है। अगर कोई पहुंच कर माता के दरबार में मत्था टेक ले तो उसकी सारी परेशानी दूर हो जाती है। वहीं मन्नतें भी पूरी होती है।
डकरामा स्थित मंदिर में साल के सभी चार नवरात्रों पर भव्य आयोजन होता है और प्रत्येक महानवमी पर हवन और भंडारा का आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों लोग शामिल होते है। दावा है कि यहां आयोजित हवन में भाग लेने पर नि:संतान को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है। यहां माता दु़र्गा, दक्षिण काली और बगलामुखी आस्था और भक्ति के केंद्र हैं। यहां मत्था टेकने मात्र से मुराद पूरी होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां हर वक्त माता उपस्थित रहती हैं। भक्तों का कष्ट दूर करती हैं। सात्विक पद्धति, बंगलामुखी, आराधना व अघोरपंथ इस चमत्कारी सिद्धपीठ की पहचान है। यहां पिछले पांच दशक से आस्था का दीप जल रहा है। लोगों कल्याण हो रहा है। यहां पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई समेत देश स्तर के नेता, न्यायिक, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी यहां मत्था टेकने आ चुके है।
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अलौकिक शक्तियों के स्वामी है बाबा शिवजी सिंह :::
सिद्धि और शक्ति की इस स्थली की स्थापना पूर्व बैंक अधिकारी स्वामी शिवजी सिंह ने की थी। स्वामी शिवजी सिंह ने शक्ति की साधना की बदौलत अलौकिक शक्तियां प्राप्त की। फिर नौकरी छोड़ मंदिर की स्थापना की और लोक कल्याण में जुट गए। स्वामी शिवजी सिंह बगैर अन्न जल के साल के सभी नवरात्र करते है। कहते है कि उनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर खुद माता दक्षिण काली ने उन्हें दर्शन दिया था और लोक कल्याण के लिए आर्शीवाद भी। कठिन तपस्या के बल पर वाकसिद्ध संत के रूप में प्रसिद्ध स्वामी शिवजी सिंह ने अपने गुरु अघोरेश्वर स्वामी नारायण जी और दक्षिण काली मां के आदेश पर अपने गांव डकरामा में श्रीसिद्धपीठ अघोर आश्रम बगलामुखी साधना केंद्र की स्थापना की। चार मानव खोपड़ी पर निर्मित अघोर आश्रम में माता का गहवर भी चार मानव खोपड़ी पर है। यह स्थान सिद्धि-शक्ति और साधना की स्थली के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है।