अमित कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी,हिंदी रंगमंच दिवस के अवसर पर सोमवार को डुमरा स्थित स्वच्छ्ता प्रौद्योगिकी उद्यान में कला-संगम एवं पं.चन्द्रशेखर धर शुक्ल साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिला लेखा पदाधिकारी प्रिय रंजन राय के संयोजकत्व में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षाविद प्रो. ध्रुव कुमार ने की। संचालन गीतकार गीतेश ने किया ।
वक्ताओं ने कहा कि रंगमंच जीवन के विविध रंगों को मंच पर प्रस्तुत करने की एक जीवंत विधा है। रंगमंच अवसाद से दूर ले जाकर एक अच्छी जीवन शैली के महत्त्व से रूबरू कराता है। हिंदी में रंगमंच की शुरुआत 3 अप्रैल 1868 से माना जाता है।इसी दिन पहली बार बनारस के नेशनल थिएटर में शीतल प्रसाद त्रिपाठी का नाटक ‘जानकी मंगल’ का मंचन हुआ था। वक्ताओं में प्रो. ध्रुव कुमार ,रामबाबू सिंह ‘वनगांव’ , ‘सीतामढ़ी की मैना’ जैसे प्रसिद्ध सीरियल के कलाकार दीपू वर्मा आदि थे।
दिल्ली सरकार द्वारा निर्मित नाटक ‘ बाबा साहेब द ग्रैंड म्यूजिकल’ से रंगमंच की दुनिया में चर्चा में आये कलाकार रजनीश रंजन ने कहा कि – रंगमंच इंसान के जीवन को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, हर स्तर पे विस्तार करता है।
गीतकार गीतेश ने अपनी रचना ‘दुनिया के रंगमंच पे सबका जुदा-जुदा किरदार है,बो रहा जहर तो कोई लुटा रहा यहां प्यार है’ से अभिव्यक्ति की। प्रियरंजन राय की कविता ‘जीवन के विविध रंग है रंगमंच, पर मानव का मंच कुछ और है,पात्र के मुखौटा हटाकर देखोगे, तो पाओगे पीछे चेहरा कुछ और है’ ने आज के सच को उजागर किया।