अमित कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी, विश्व हास्य दिवस के अवसर पर रविवार को कला- संगम एवं पं० चंद्रशेखर धर शुक्ल साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान एवं जिला लेखा पदाधिकारी प्रियरंजन राय के संयोजकत्व में उत्क्रमित उच्च विद्यालय पकड़ी संस्कृत में विचार
गोष्ठी सह कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रमा शंकर मिश्र ने की। संचालन गीतकार गीतेश ने किया। विचार गोष्ठी में भासर मछहा उत्तरी पंचायत के मुखिया अजीत कुमार ने कहा कि भागदौड़ की इस जिंदगी में लोगों के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई है। लोग संवेदनहीन होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें हास्य कवि सम्मेलन के आयोजन पर बल देना चाहिए ताकि लोगों को मानसिक शांति मिल सके। अन्य वक्ताओं ने विश्व हास्य दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व हास्य दिवस प्रत्येक वर्ष मई माह के पहले रविवार को मनाया जाता है। वर्ष 1998 में विश्व हास्य दिवस का शुभारंभ किया गया। इस दिवस को शुरू करने का श्रेय हास्य योग आंदोलन के संस्थापक डॉ० मदन कटारिया को जाता है। उन्होंने ही विश्व हास्य दिवस को पहली बार मुंबई में मनाया था। जिसका उद्देश्य समाज के तनाव को कम कर उन्हें हास्य रूपी सुखी जीवन देना है। वक्ताओं में रमा शंकर मिश्र,प्रियरंजन राय प्रमुख थे।
द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी का आगाज करते हुए गीतकार गीतेश ने अपनी रचना ‘आदमी बन गया आज यंत्र है, भूल गया हंसी वाला मंत्र हैं, बेतहाशा भाग रहा पैसे के पीछे, जेहन में उसके केवल षड्यंत्र हैं’ से आज की हकीकत को बयां किया। युवा कवि कृष्णनंदन लक्ष्य की कविता ‘जिंदगी में आजकल तनाव ही तनाव है, संपन्नता है बहुत मगर खुशी का अभाव है’ ने महफिल को गति प्रदान की। रमा शंकर मिश्र की हास्य रचना ‘ठीके कहिन मिट्ठू मियां शादी जंजाल है, शादी करिन जबसे मियां हालत बेहाल है’ एवं प्रिय रंजन राय की कविता ‘मेरी हड्डी टूटते-टूटते बची बेलन पहले से बम था, बर्तन साफ कैसे करता टंकी में पानी ही कम था’ ने लोगों को लोट-पोट कर दिया।
