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मुहर्रम के अवसर पर मेहसौल में शहीद ए कर्बला कांफ्रेंस आयोजित

ByFocus News Ab Tak

Jul 29, 2023

इमाम हुसैन ने इंसाफ की खातिर अपनी कुर्बानी दी : मौलाना अनवारूल्लाह फलक

मो.कमर अख्तर की रिपोर्ट

सीतामढ़ी- अमन एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वाधान में मुहर्रम के अवसर पर मेहसौल आजाद चौक स्थित ईदगाह में शहीद ए कर्बला कांफ्रेंस आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता अल्हाज मौलाना अजमत ने की जबकि मंच संचालन मौलाना नेमतुल्लाह रहमानी ने की। शहीद ए कर्बला कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मौलाना अनवारूल्लाह फलक ने कहा कि इंसाफ की खातिर इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी दे दी। उनके शहादत और कुर्बानी पर ढोल ताशा बजाना और ताजिया बनाना शरीयत के खिलाफ है। यह बहुत बड़ा गुनाह है। उन्होंने मेहसौल के अवाम और विशेष कर अलाउद्दीन बिस्मिल व संस्था की सराहना कि जो गलत रीति रिवाज को त्याग मुहर्रम के अवसर पर शहीद ए कर्बला कांफ्रेंस का आयोजन करते है। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि जिस समाज शिक्षा, आर्थिक तौर पर सहयोग करने वाला, इंसाफ, सूफी संत होंगे उस समाज को तरक्की से कोई रोक नही सकता। शिक्षा पर विशेष बल देते हुए कहा कि शिक्षा से समाज व मुल्क विकसित होगा। उन्होंने कहा कंगाल बन जाईये लेकिन बच्चों को जाहिल नही बनाईये। उन्होंने कहा कि इस्लाम मजहब कोई सिखाता है कि आप की वजह से किसी को कोई कष्ट नही हो, वरना गुनाह के भागीदारी बनेंगे। लोग आलीशान मकान बनाते है, नाली का पानी सड़क पर छोड़ देते है, जिससे आमजनों को कष्ट होता है।

वहीं शांति संदेश केंद्र पटना के *मौलाना साजिद चतुर्वेदी* ने अपने संबोधन कहा कि इमाम हुसैन अपने पूरे खानदान का हक के लिए कर्बला के मैदान में जान देकर शहीद हो गए। पैंगबर मोहम्मद के नवासे, अली और फातमा के लाल हुसैन ने हक के लिए सर को नही झुकने दिया।यजीद मिट गया लेकिन इमाम हुसैन जान देकर इस्लाम को बचा लिया। यजीद हुसैन का सर तलवार से घुमाया। हुसैन के नाम पर मातम मनाने वाले तुम यजीद के पक्ति में हो। उन्होंने ताजियादारी, ढोल ताशे से बचने की नसीहत दी। उन्होंने आगाह किया ढोल ताशे वाले कब्र में तुम्हारा ढोल ताशा बजाया जाएगा। मुहर्रम के अवसर पर होनेवाली शिरक और बीदअत से बचें। 9व 10 वीं रोजा की बहुत फजीलत है। उन्होंने कहा कि इस्लाम के पहला कलमा और सनातन के ब्रह्म वेद का अर्थ एक ही है। फर्क इतना है कि मुस्लिम भाई अरबी में पढ़ते है सनातनी भाई संस्कृत में पढते है। दोनों का अर्थ ईश्वर एक है, वह अलख निरंजन है, उसको मौत नही आती। ईश्वर को किसी ने पैदा नही किया और वह दिखाई नही देते। संसार का रचयिता एक ही है। अंग्रेज गुलाम बनाया तो दोनों भाई मिल कर लड़े। देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराया। उन्होंने बच्चों में बढ़ते मोबाइल के लत पर जमकर प्रहार किया। मोबाइल बहुत बड़ी बुराई है, समाज का कैंसर है। उन्होंने शरीयत और कुरान के मुताबिक जिंदगी गुजारने की सलाह दी। बच्चों को उसके मुताबिक तरबियत देने की बात कही। उन्होंने ताजियादारी व ढोल ताशे के खिलाफ पहल के लिए मेहसौल के नौजवानों की सराहना कि विशेष तौर से संस्था के सचिव अलाउद्दीन बिस्मिल की।



कांफ्रेंस में शायर जफर हबीबी, कारी अल्ताफ फरिक्ता, मौलाना तारिक अनवर कासमी एवं मदरसा रहमानिया के छात्रों ने नात पढ़ लोगों को मत्रंमुग्ध कर दिया।

अमन वेलफेयर सोसाइटी के सचिव ने कहा कि 2005 से मुहर्रम के अवसर पर ताजियादारी को समाप्त कर शहीद ए कर्बला कांफ्रेंस आयोजित की जाती है, ताकि मुस्लिम समुदाय में जागरूकता आये और लोग मुहर्रम पर व्याप्त कुरीतियों को त्याग सके। उन्होंने जिलावासियों से ताजिया न बनाने की अपील की। वहीं संस्था के पूर्व अध्यक्ष स्व हाजी हबीबुर्रहमान के पुत्र नौशाद खल्ली का कांफ्रेस में योगदान सराहनीय रहा। संस्था के अध्यक्ष हाजी नईम ने कहा कि मेहसौल ने मुहर्रम के अवसर पर गलत परम्परा के खिलाफ जो आवाज बुलंद की है, वह भविष्य में भी जारी रहेगा।

मुस्लिम सिटीजंस फार एम्पावरमेंट के अध्यक्ष मो कमर अख्तर ने कहा कि मुहर्रम के अवसर पर चली आ रही परम्परा और रीति रिवाज को त्यागना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेहसौल से सीख लेने की जरूरत है। मेहसौल के नवयुवकों ताजियादारी समाप्त कर सराहनीय कार्य किया है। वहीं मदरसा रहमानिया के पूर्व अध्यक्ष अरमान अली ने मुहर्रम के अवसर पर ताजियादारी और ढोल ताशे को त्यागने की जिलावासियों से अपील की।
कांफ्रेंस मौलाना अजमत के दुआ के साथ रात्रि तीन बजे सम्पन्न हुआ। मौलाना अजमत द्वारा समाज व मुल्क में आपसी भाईचारे, अमन शांति और वर्षा होने की अल्लाह से दुआ मांगी गई। कांफ्रेस में कांग्रेस नेता शम्स शाहनवाज, नौशाद खल्ली, अब्दुल खालिक, रहमतुल्लाह, अकबर, आमिर मुख्तार उर्फ आरजू कुरैशी, आरिफ हुसैन मीना टेंट हाउस, मास्टर अब्दुल कय्युम, असलम अंसारी, छोटे अंसारी, नौशाद एसी वाले, सलाहुद्दीन, डा एम अली, नूर मोहम्मद, मो गुलजार, मो मोनिस, शाहिद खलीफा, जलालुद्दीन प्रिंस, एबरार अली, मो करीम, आकिब बाबू, मो आसिफ, इरशाद उर्फ कैश, मो कलीमुद्दीन समेत सैकड़ों महिला पुरुष मौजूद थे।

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