
रमा शंकर शास्त्री की कलम से

सीता मैं पुण्य भूमि हूँ
नालंदा का ज्ञान हूँ
शतशत है नमन तुम्हे शान्ति का पैगाम हूँ
बुद्ध की बोध भूमि व विद्यापति का मान हूँ
महावीर दिव्य तेज व आर्यभट्ट का ज्ञान हूँ
रामचन्द्र की चरण धूलि से पवित्र पुण्य महान हूँ
उगना बनकर शिव आये,मिथिला पावन धाम हूँ
पुण्डरीक ऋषि की तप साधना से सिंचित धरा सुखधाम हूँ ।
विदेह जनक के हल से मुदित कृषि धरा मान हूँ
भारत माता का मोर मुकुट अशोक स्तंभ की शान हूँ
गाँधी जेपी की कर्मभूमि दिनकर रेणू के प्राण हूँ
नागार्जुन का शुभ संदेश और जानकी बल्लभ का गान हूँ
शत शत नमन तुम्हे बिहार की धरती तुम्हे देख अभिभूत हूँ
सीता जी वंशज हूँ और बाल्मीकि का तेज हूँ
रामचन्द्र की चरण धूलि से पावन दीप्त सतेज हूँ