आटिज्म दिव्यांगों के लिए राष्ट्रीय न्यास, भारत सरकार निरामया के माध्यम से 1 लाख रुपये तक की सहायता करती है प्रति वर्ष, अभिभावक ले इसका लाभ -डॉ राजेश
सीतामढ़ी से शाम्भव सत्यार्थ के साथ मनोज पाण्डेय
सीतामढ़ी-दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही राष्ट्रिय न्यास से सम्बद्ध जिले की मात्र संस्था ,आरोग्या फाउंडेशन फॉर हेल्थ प्रमोशन एवं कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन के तत्वावधान में डुमरा रोड स्थित दिव्यांगन केंद्र पर विश्व आटिज्म जागरूकता दिवस के अवसर पर आटिज्म से ग्रषित बच्चे के अभिभावकों व अन्य लोगो के बीच जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। संस्था के निदेशक सह फिजियोथेरेपी चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सुमन ने आटिज्म के बारे में बिस्तृत जानकारी प्रदान की।

डॉ राजेश ने बताया की भारत में आटिज्म से पीड़ित बच्चों और वयस्कों की संख्या काफी है । ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति बाहरी दुनिया से अनजान अपनी ही दुनिया में खोया रहता है। ऑटिज्म के दौरान व्यक्ति को कई समस्याएं हो सकती हैं, यहां तक कि व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग हो सकता है।ऑटिज्म के रोगी को मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं।
कई बार ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति को बोलने और सुनने में समस्याएं आती हैं।
डॉ राजेश ने बताया की ऑटिज्म पूरी दुनिया में फैला हुआ है। वर्ष 2010 तक विश्व में तकरीबन 7 करोड़ लोग ऑटिज्म से प्रभावित थे। दुनियाभर में प्रति दस हजार में से 20 व्यक्ति इस रोग से प्रभावित होते हैं। कई शोधों में यह भी बात सामने आई है कि ऑटिज्म महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में अधिक देखने को मिला है।

डॉ राजेश ने बच्चो में ऑटिज्म लक्षण के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया की इस प्रकार के बच्चे कभी कभी किसी भी बात का जवाब नहीं देते या फिर बात को सुनकर अनसुना कर देते हैं। कई बार आवाज लगाने पर भी जवाब नहीं देते।किसी दूसरे व्यक्ति की आंखों में आंखे डालकर बात करने से घबराते हैं।अकेले रहना अधिक पसंद करते हैं, ऐसे में बच्चों के साथ ग्रुप में खेलना भी इन्हें पसंद नहीं होता।बात करते हुए अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं करते या फिर अंगुलियों से किसी तरह का कोई संकेत नहीं करते।बदलाव इन्हें पसंद नहीं होता। रोजाना एक जैसा काम करने में इन्हें मजा आता है।यदि कोई बात सामान्य तरीके से समझाते हैं तो इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते।बार-बार एक ही तरह के खेल खेलना इन्हें पसंद होता हैं।बहुत अधिक बेचैन होना, बहुत अधिक निष्क्रिय होना या फिर बहुत अधिक सक्रिय होना। कोई भी काम एक्सट्रीम लेवल पर करते हैं।ये बहुत अधिक व्यवहार कुशल नहीं होते और बचपन में ही ऐसे बच्चों में ये लक्षण उभरने लगते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ दिनेश प्रसाद गुप्ता ने उपस्थित अभिभावकों को संबोधित कर बताया की ऑटिज्म प्रभावित बच्चों को स्नेह दे, उन्हे सामाजिक गति विधियों मे सम्मिलित करे, उन्हे आसपास के बच्चों के साथ खेलने दे साथ ही फिजियो थेरेपी, स्पीच थेरेपी, ओकुपेशनल थेरेपी अच्छे चिकित्सक के देख रेख मे कराते रहे।


संस्था की क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट मधुरिमा रानी ने राष्ट्रिय न्यास ,भारत सरकार की निरामया वीमा योजना के बारे में अभिभावकों को जानकारी दी बताया की प्रति वर्ष 1 लाख रुपये की सहायता राशि बच्चों के इलाज के लिए सरकार देती है।
कार्यक्रम के समापन में दिव्यांग बच्चो के द्वारा केक काटा गया व टॉफ़ी एवं बिस्कुट बितरित की गयी। कार्यक्रम में संस्था के मधुरिमा रानी ,बबन कुमार ,निभा चटर्ज़ी, अदिति रंजना, ममता कुमारी, सौम्या व दर्ज़नो दिव्यांग व उनके अभिभाबक मौजूद थे।


