
सीतामढ़ी- इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों मे एक रोजा भी है। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है। रमजान रहमत, बरकत एवं मगफिरत का महीना है। मुस्लिम समुदाय अधिक से अधिक इबादत और नेक कार्य कर अल्लाह को राजी कर अपनी मगफिरत की दुआ मांगते है। उक्त बातें मुस्लिम सिटीजंस फार एम्पावरमेंट के अध्यक्ष मो कमर अख्तर ने कही।

अख्तर ने कहा कि रमजान के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रमजान आता है तो जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है और जहन्नम का दरवाजा बंद कर दिया जाता है। शैतान कैद कर दिए जाते हैं। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम मक्का से हिजरत कर मदीना पहुंचने के एक वर्ष बाद मुस्लिमों को रोजा रखने का हुक्म आया। तमाम धर्मों- ईसाई, यहूदी और हिंदू समुदाय में अपने अपने तरीके से रोजा रखने का परंपरा है। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में रोजा पर लिखा है कि रोजा तुम पर उसी तरह फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था। रमजान में ही पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान नाजिल हुआ। जिस रात कुरान नाजिल हुआ उस रात को शब ए कद्र करार दिया गया। शब ए कद्र की एक रात की इबादत हजार रात से अफजल है। रमजान की अहमियत यह है कि इबादत और नेकी का सवाब (पुण्य) 70 गुना अधिक है। जो इंसान इमान की हालत में सवाब की नीयत से रोजा रखता है, उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाते है। रोजा रखना और रोजे से जुड़े नियमों को पालन करना अनिवार्य है, ताकि इबादत कुबूल हो सके।

रोजा अरबी शब्द सौम से बना है।जिसका शाब्दिक अर्थ रोक देना या रूक जाना है। रमजान में बुरे कार्य से अपने को रोक लेना है। रोजा रखने पर सुबह सादिक से सूर्यास्त तक कुछ भी खाने पीने की मनाही है। रोजा रखने का मतलब सिर्फ भुखे नही रहना बल्कि जिस्म के हर अंग का रोजा होता है। रोजे के दौरान इंसान को पूरे जिस्म और नफ्स पर भी कंट्रोल रखना पड़ता है। आंख कान का भी रोजा होता है यानी बुरा न देखे, बुरा न सुने, न बोले और न सोंचे। अपने हाथ से कोई गुनाह या अनैतिक काम न करें पांव को बुराई से बचाना गुनाह या धर्म के रास्ते पर नहीं चलना है। हर उस काम से स्वयं को रोक लेना है, जो अनैतिक एवं अधर्म है, जिससे कुरान और हदीष से मना किया गया है।


मो अख्तर ने कहा कि रमजान नेकियों का मौसम ए बहार है। रमजान में रोजे कै साथ-साथ पांच वक्तों की नमाज व तरावीह की नमाज पढ़, कुरान तिलावत कर, ऐतकाफ में बैठना, जकात देना, सदका ए फितर एवं दान कर खुब नेकी कर अल्लाह से अपनी मगफिरत चाहते हैं।
11 महीने में धर्म, सुन्नत और नेक रास्ते पर चलने में जो लापरवाही होती है। वह रमजान में समाप्त हो जाती है। इंसान अपना वक्त इबादत और नेकी में गुजारने के साथ बुराई से दूर हो जाता है। रमजान अगले 11 महीने गुजारने का ट्रेनिंग है।
