पलक पर । सिर्फ हया नही बिठाओ सपने । ।
पलक पर पतंग नही उड़ो खुद भी ।
जुबां पर गीत नहीं उकेरो तर्क ।
हाथ पर रंग नहीं बिखेरो उमंग कदमों को महावर नहीं ।
बनाओ मुसाफिर भी ताकि मंजिल तुम्हें भी मुकम्मल इंसान समझे ।



पलक पर । सिर्फ हया नही बिठाओ सपने । ।
पलक पर पतंग नही उड़ो खुद भी ।
जुबां पर गीत नहीं उकेरो तर्क ।
हाथ पर रंग नहीं बिखेरो उमंग कदमों को महावर नहीं ।
बनाओ मुसाफिर भी ताकि मंजिल तुम्हें भी मुकम्मल इंसान समझे ।