वरिष्ट पत्रकार सर्वधीर मिश्र की कलम से:-
एक लड़की पसंद की शादी करने के कुछ दिनों बाद शर्माते – शर्माते वापस अपने मायके आ गयी।
माँ ने अपनी लाडली बेटी से वजह पूछी , तो बेटी क्या बोली:-
क्या बताऊँ माँ…
लड़का तो “पत्रकार” निकला..
एक नंबर का कंगाल निकला
न घर है न द्वार, न पैसा न माल।
बस श्रीमान ठन-ठन गोपाल।
5 पैसे की सेविंग नहीं।
घर किराए का था,
बाईक भी लोन पर है ,
मोबाईल भी चाइना का
परचून की दुकान में,
15’570/- की उधारी है।
पैसा वो देता नहीं…
दुकानदार मुझे घूरता है।
कहने को एक LIC की पालिसी है,
मात्र 1500 रु. महीना..
उसका भी तीन महीने से
प्रीमियम नहीं बाकि है।
जिसको न सरकार ही
अपना मानती है और न ही वो कम्पनी जिसमे वह काम करता है
वो भला मेरा कैसे होगा ?
ना आने का पता…
ना जाने का।
कभी भी टाइम से घर नही आते
कभी सुबह 7 बजे जाते तो रात 11 बजे आते
कभी रात के 2 बजे आते है।
नोकरी 24 घण्टे की न खुद को आराम न परिवार के लिए समय।
समझ नहीं आता.
कब नाश्ता बनाऊं कब खाना बनाऊ ?
वीकली आफ कहने का है लेकिन मिला कभी नही
जबरदस्ती का ओवरटाइम।
छुट्टियों में भी काम,
टाइम बच गया तो एक्स्ट्रा काम।
तनख्वाह के बारे में
जब भी पूछो…
एक ही जवाब देता है,
अगले साल से बढेगी
अब पता नहीं ये क्या होता है।
ना प्रमोशन का पता,
ना प्यार-मोहब्बत का टाइम।
ऊपर से बिजनेश का वादा,
पैसा कम और टेंसन ज्यादा!!
आजकल पता नहीं कौन सा
प्लान बना रहा है,
पिछले 15 दिन से तो
नज़र ही नही आ रहा है।
उसके साथ जीवन मेरा तमाशा है,
अब तो आप लोगों से ही आशा है।
स्पेशल स्टोरी।
चैनल हेड के बिजनेश का टारगेट
रूटीन के काम
घटना दुर्घटना
सून सून कर तंग आ गई हूँ ।। मां क्या बताऊँ लड़का सिर्फ पत्रकार है ।



