अंदर – बाहर दोनों का पिया जानकार तू।
मंदिर – मस्जिद चर्च सबका तलबगार तु।। चर – अचर दोनों का जीवन आधार तू।
लोक परलोक के रहस्यों का राज़दार तु।।
सुदामा खुसरो दोनों का पिया यार तू।
तीनों लोक में सबसे बड़ी सरकार तू। भले – बुरे दोनों का पिया न्यायिक दरबार तू।
चित – पट दोनों तेरी, खिलाड़ी शानदार तू।।
ख़रीद – फरोख़्त ज़माने का पिया सबसे बड़ा साहूकार तू।
उम्मीदों का आसरा पिया सुख – दुःख का भागीदार तू।। सबसे बड़ा आमिल पिया सबसे समझदार तू।
राजा रंक दोनों का दाता पिया मालदार तू।।
इश्क मजाज़ी इश्क हकीकी ऐसा पिया प्यार तू।
जसको चाहा दीदार दिया ऐसा पिया दिलदार तू।।पुरी कायनात का पिया एक ही पतवार तू।
कर दे मेरा बेड़ा भी अब पिया पार तू।।

