सीतामढ़ी बथनाहा : बिभागीय उदाशीनता का शिकार बना रानौली पंचायत के सिंघरहिया चौक स्थित उप स्वास्थ केन्द्र का वजूद अब मिटने के कगार पर पहुच गया है।इसके भवन इतने जर्जर हो चुका है की अब यह कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है।यह किसी न किसी दिन हादसे का गवाह बन सकता है ।इतना ही नहीं इस भवन को देखने से खुद यह बीमार लग रहा है और इस स्वास्थ्य केन्द्र को खुद इलाज की आवश्यकता है । इसके जर्जरता को देखकर ध्वस्त होने से इंकार नही किया जा सकता है ।इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में कर्मियों को सिर छुपाने के लिए जगह नहीं है ।पर इलाज का दावा किया जाता है ।आज इसका परिसर तक खंडहर में तब्दील दिख रहा है।स्थानीय लोगों के मुताबिक इस उप केंद्र पर 2010 तक यहां लोगो के स्वास्थ जांच व छोटे-छोटे बच्चों को टीका लगाया जाता था।अब इस स्वास्थ उप केंद्र की बदहाली इस कदर हो गई है कि इसके वजूद पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।यहां पांच -सात वर्षों से कोई प्रतिनियुक्त कर्मी भी यहां आना मुनाशिव नही समझते है जिसे इसके वजूदपर संकट के बादल मंडराने लगे है। इस स्वास्थ केंद्र के मृत प्रायः हो जाने से स्थानीय गांव के अलावा खुसनगरी, कोदरकट,घोघराहा, सहित आधा दर्जन से अधिक गांवो के हजारों लोगों स्वास्थ सुविधा का लाभ लेने को लेकर दस किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय स्थित पीएचसी अथवा सीतामढ़ी सदर अस्पताल जाने की विवशता बनी रहती है या झोला छाप डॉक्टरों के रहमो करम पर आधारित रहना पड़ता है।बताया जाता है कि 1983 के दशक में ग्रामीणों के अथक प्रयास पर देहाती क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर स्थानीय धर्मशाला में उप स्वास्थ केंद्र को संचालित कराया गया था । इससे आसपास के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगी किंतु विभागीय उदासीनता व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण मरीजों का जीवन प्रदान करने वाला स्वास्थ्य उप केंद्र आज भूत बंगला में तब्दील हो चुका है।इसके जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों सांसद, विधायक व स्वास्थ विभाग के आला अधिकारियों तक अवगत कराया गया पर सभी जगहों से सिर्फ अस्वाशन ही मिला।थक हार ग्रामीण अपना उम्मीद छोड़ दी। इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ0 किशोरी प्रजापति ने कहा कि वे इस भवन के स्थिति से विभागिए अधिकारी को अवगत करा चुका है ।बावजूद इसके जीर्णोद्धार के संबंध में अबतक कोई आदेश प्राप्त नही है ।

