जाति आधारित जन गणना में सभी जातियों और वर्णों के लोगों को सहयोग करना चाहिए जिससे उनकी जाति या वर्ण की वास्तविक संख्या का पता चल सके.
गैर आरक्षित कोटि में सिर्फ 2 वर्ण हैं
- ब्राह्मण 2. क्षत्रिय.
ब्राह्मण में मैथिल, कान्यकुब्ज, सरयूपारीण, भूमिहार, कायस्थ आदि होगे.
इस कोटि में सिर्फ दो वर्णों की संख्या कुल जनसंख्या का 20% से 30% संभावित हो सकती है.
आरक्षित कोटि में 200 से अधिक जातियां प्रसम्भाव्य होंगी..
इन दोनो कोटि के नागरिकों को अपनी शतप्रतिशत उपस्थिति के साथ जनगणना में सहयोग करना होगा.
इस जनगणना में रुचि के साथ सभी जाति के लोग भाग ले अन्यथा
जैसे वोटिंग के दिन घर में बैठे रहते हैं वैसा किया तो पता चलेगा कि जिस जाति या वर्ण के लोग तटस्थ रहे या घर बैठे रहेंगे उनकी जनसंख्या का प्रतिशत कुल जनसंख्या के प्रतिशत में कम दर्शित होगा
और इसी आधार पर उनके कल्याण की योजनाएं प्रभावित होंगी या स्पष्ट कहें तो उन उन जातियों की एक “मत–समूह” या “वोटबैंक” के रूप प्रदर्शित होने वाली लोकतांत्रिक शक्ति कम आंकी या मानी जाएगी.
🇮🇳 अरविन्द पाण्डेय 🇮🇳

