मो कमर अख्तर की रिपोर्ट
सीतामढ़ी- आपसी भाईचारा एवं सदभाव के साथ शांतिपूर्ण ढंग से ईद-उल-अजहा (बकरीद) मनाया जा रहा है। इस्लाम धर्म का बकरीद महत्वपूर्ण त्योहार है, जो तीन दिन मनाया जाता है। नमाज के बाद कुर्बानी शुरू कर दिया जाता है। 10,11 एवं 12 जुलाई के मगरिब से पहले तक मुस्लिम समुदाय कुर्बानी कर सकेंगे।

मुस्लिम भाईयों ने सुबह ईदगाह में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की। एक दूसरे से गले मिल मुबारक बाद दी। वहीं बच्चों में भी खासा उत्साह देखा गया। नमाज में मुस्लिम भाईयों ने समाज, राज्य और देश में शांति, खुशहाली एवं सलामती की दुआ की। जिला प्रशासन बकरीद शांतिपूर्ण सम्पन्न हो इसको लेकर पूरी तरह मुस्तैद दिखी। नमाज अदा करने के बाद मुस्लिम समुदाय कुर्बानी की रस्म अदा करते दिखे। पूरे जिला में हर्ष एवं उल्लास के साथ बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। बड़ों के साथ बच्चें भी बकरीद की नमाज अदा करने के बाद रिश्तेदारों के घर जाकर बधाई देते दिखे। कुर्बानी देना इस्लाम धर्म में बलिदान का प्रतीक माना जाता है।

त्याग और बलिदान का पर्व बकरीद का इस्लाम धर्म में बहुत महत्व है। मदरसा रहमानिया, मेहसौल के पूर्व अध्यक्ष मो अरमान अली, राजद जिलाध्यक्ष मो शफीक खां, सामाजिक कार्यकर्त्ता मो कमर अख्तर, युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो शम्स शाहनवाज, साइंस फॉर आल के मो ज्याउल्लाह, जदयू के वरिष्ठ नेता मो ज्याउद्दीन खान, मो नेहाल अहमद समेत अन्य के आवास पर बकरीद मिलन समारोह आयोजित हुआ। दोनों समुदाय के लोगों ने बधाई दी। समाजिक कार्यकर्ता मो कमर अख्तर, मदरसा रहमानिया मेहसौल के अध्यक्ष मो अरमान अली, मौलाना अब्दुल वदूद ने कहा कि बकरीद का त्योहार हमें त्याग और बलिदान का सिख देता है। हम इससे ही अपनी दुनिया और आखिरत बना सकते है। कुर्बानी से ही हम दुनिया एवं आखिरत को सफल बना सकते है। हमें बकरीद के मौके से प्रेरणा लेते हुए कुर्बानी देने के जज्बा को कायम रखना चाहिए, ताकि दूसरे का कल्याण हो सके तथा समाज विकसित हो सके।

डा इकरा अली खान ने कहा कि बकरीद आपसी भाईचारे का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का मांस का दो हिस्सा एक रिश्तेदारों एवं दूसरा गरीबों में बांटा जाता है, जो आपसी सद्भभाव को बढ़ाता है। मो शफीक खां, मो ज्याउल्लाह एवं शम्स शाहनवाज, मो मोहिबुल्लाह खान ने कहा कि बकरीद के अवसर पर हम संकल्प लें कि हम अपने स्वार्थ को त्याग दूसरे मानव के काम आयेंगे।




