ब्यूरो रिपोर्ट
सीतामढ़ी-रेड क्रॉस सभागार में मिथिला राघव परिवार सेवा न्यास पुनौरा धाम के द्वारा श्रीराम वन यात्रा क्षेत्र विकास हेतु लोक संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता अवकाश प्राप्त राजभाषा अधिकारी एवं साहित्यकार विमल कुमार परिमल ने किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में श्रीराम संस्कृति शोध संस्थान न्यास के महामंत्री प्रबंध न्यासी एवं शोधकर्ता डॉ राम अवतार शर्मा की उपस्थिति रही। जानकी उद्भव झांकी प्रतीक चिन्ह एवं अंग वस्त्र से इन्हें सम्मानित किया गया ।

मुख्य अतिथि शर्मा ने कहा अभी तक शोध संस्थान के द्वारा राम से जुड़े वन यात्रा में 290 स्थान का चयन 80 जिलों में किया गया है।जिन सभी स्थानों पर स्वयं यात्रा की है। वन गमन में उत्तर प्रदेश, बिहार ,नेपाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड ,उड़ीसा, तेलंगना, महाराष्ट्र ,कर्नाटक तथा तमिलनाडु के नगरों ग्राम जंगलों पहाड़ों तथा नदियों के किनारे दुर्गम स्थल पर जाना हुआ है।भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर यह स्थल लुप्त होते जा रहे हैं इनके संरक्षण व संवर्धन के लिए संस्थान प्रयासरत है। शुद
शोधकर्ता शर्मा ने कहा हमारी सभ्यता संस्कृति विशेष रूप से ग्रामीणों ने संस्कृति पर आज भी श्री राम जी के अमिट छाप है।
श्री राम जी की लीला भूमि पर अनेक दृष्टि से शोध होना चाहिए था जो अभी तक नहीं हो सका है ।इसी बात को ध्यान में रखते हुए श्री राम की यात्राओं को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है। प्रथम विद्यार्थी जीवन में वशिष्ठ मुनि के निर्देशन में ,द्वितीय विश्वामित्र मुनि के साथ उनके यज्ञ की रक्षा हेतु जनकपुर तक की यात्रा ,तृतीय 14 बरस के वन गमन यात्रा तथा चतुर्थ सिंहासन आरूढ़ होने के पश्चात राजाराम की तीर्थ यात्रा।

चार वन यात्राओं में अयोध्या से जनकपुर यात्रा पूर्ण कर ली गई है। और 14 बरस के वन गमन यात्रा भी पूरी हो चुकी है। जहां जहां चरण पड़े रघुवर के श्री राम यात्रा की चित्र में झांकी प्रकाशित हो चुकी है। श्री राम वन गमन स्थल पुस्तक का प्रकाशन भी किया जा चुका है। वनवासी राम और लोक संस्कृति जिसमें श्री राम की यात्राओं तथा उनके सांस्कृतिक प्रभाव का विस्तृत वर्णन किया गया है। भारत के मानचित्र पर 290 यात्रा स्थलों की पावन माटी से संबंधित संगमरमर के श्री राम चरण स्थापित करने का अभियान चल रहा है।

यह लघु चरण चिन्ह भक्तों के लिए भी उपलब्ध है ।कागज प्लास्टिक तथा स्टील प्लेट पर छापे श्रीराम यात्रा स्थलों के मानचित्र न्यास के पास उपलब्ध है जिसे लोग देख सकते हैं ।चित्रकूट में श्रीराम संग्रहालय स्थापित किया है। तथा अयोध्या , पंचवटी ,किष्किंधा ,रामेश्वरम और दिल्ली में श्रीराम संग्रहालय निर्माण किया जाना है। ताकि लोग श्रीराम वन यात्रा से जुड़े विषय को देख सकें ।
बिहार के पावन भूमि पर रामेश्वर धाम ,चरित्रवन बक्सर, विश्वामित्र आश्रम, रामरेखा घाट ,गिरिजा मंदिर फुलहर गांव ,लक्ष्मी नारायण मंदिर बक्सर ,अहिल्या स्थल ,अहिल्या आश्रम अहियारी विश्वामित्र आश्रम फुलहर, गिरजा स्थान ,पंथपाकर धाम मुख्य रुप से श्री राम के अयोध्या जनकपुर यात्रा की निशानी है ।जिसके सत्य कलाकृतियां आज भी उपलब्ध है।

लोक संवाद कार्यक्रम का संचालन आयोजक रमाशंकर शास्त्री ने किया ।स्वागत भाषण साहित्यकार ऋषिकेश कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन दिनेश चंद्र द्विवेदी ने किया।प्रसिद्ध इतिहासकार राम शरण अग्रवाल ने सीतामढ़ी के पुरातात्विक महत्व पर चर्चा करते हुए कहा मिथिला की धरती का खास महत्व है और पुरातत्व विभाग बिहार के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है ।पुरातात्विक अवशेषों को संरक्षित संवर्धित करने की आवश्यकता है।

सीतामढ़ी अध्यात्म और पर्यटन के दृष्टिकोण से माता जानकी की प्राकट्य भूमि है जिस के विकास के लिए डॉ राम अवतार शर्मा को मांग पत्र दिया गया।पुनौराधाम मंदिर,पुण्डरीक ऋषि आश्रम,अन्हारी धाम,बगही धाम,हलेश्वर धाम,पंथपाकड़ धाम, जानकी स्थान,गौशाला,अल्हाउर,हरि छपरा, मुरादपुर को जोड़ता है पंचकोशी परिक्रमा स्थल का चौड़ीकरण की मांग की गई।यात्री निवास सुविधा,सीताकुंड विकास,पंचकोशी सड़क निर्माण,बिजली सुविधा एवं जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम के विकास के लिए प्रसाद योजना कि 38 करोड़ राशि उपलब्ध कराने की मांग की गई।
संवाद कार्यक्रम में मुठिया बाबा, राज नारायण दास, सज्जन हिसारिया, प्रसिद्ध लेखिका आशा प्रभात ,प्रोफेसर उमेश चंद्र झा, वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र प्रसाद सिंह, आग्नेय कुमार, दिनेश चंद्र द्विवेदी, धनुषधारी सिंह, आलोक कुमार, राजेश सुंदरका ,नरोत्तम व्यास ,श्रीनिवास मिश्रा ,शशि रंजन कुमार ,अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने उपस्थित होकर अपने विचार व्यक्त किए।

