डॉ. मीनाक्षी मीनल की कलम से….
चिड़िया हमसे बेहतर है ।
चिड़िया उठती है हम से पहले
और हमे जगाती भी है ।
हमारी चाय की चुस्कियों से पहले,
वह चुग लाती है अपने आश्रितों के लिए घोसलों में दाना ।
उसका घोषला भी
किसी पिता द्वारा दी गई विरासत नही होती ।
जिसमे लेटे अखबार पढ़ते हम
उसे मानते है हम अपनी संपत्ति
चिड़ियां चोंच में तिनका भर
घोसले का घर बनाती है ।
चिड़ियां हमारी तरह नही देखती हाथों की लकीरें
वह अपने डायनों के माप
छू लेती है आसमान,
जिस समय हम अपनें पसीनों को पोछ रहे होते हैं,रुमाल से
और आँचल को छोड़ आए होते हैं वृद्धाश्रम में
उस वक्त चिड़ियां अपनी पीठ पर बिठा,पराये धूप को करा रही होती है अपनत्व की सैर।
हम काटते हैं पेड़,उजाड़ते हैं घोसलें,और बनाते हैं दरवाजे की खिड़कियां
बावजूद इसके,
चिड़िया बिना किसी के शिकवे के रोज हमारी उसी खिड़कियां पे आके हमे सोए से जगाना नही भूलती,
क्यों की चिड़ियां हम से बेहतर है ।
