एलएस कालेज का नाम डा. राजेन्द्र प्रसाद, जेबी कृपलानी, रामधारी सिंह दिनकर, आईजे तारापोरवाला, डब्ल्यू डी स्मिथ और एचआर घोषाल जैसे महापुरुषों के नाम जुड़े हैं। महात्मा गांधी चंपारण सत्याग्रह के दौरान यहीं पर ठहरे थे ,
लंबे अरसे बाद शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का नाम आया सामने
मुज़फ़्फ़रपुर से एस. मिश्रा
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का लंगट सिंह कॉलेज में 106 साल पुरानी एक खगोलीय वेधशाला ( astronomical observatory ) को यूनेस्को ( UNESCO ) ने महत्वपूर्ण लुप्तप्राय वेधशालाओं की विरासत सूची ( UNESCO Heritage List of Endangered Observatories ) में शामिल कर लिया गया है। यूनेस्को के इस फैसले से 106 साल पुरानी वेधाशाला के पुनर्जीवित होने की उम्मीद बढ़ गई है। अपने अद्भुत अतीत का संकेत देने के लिए बहुत कम है। इससे बिहार के गौरवशाली इतिहास को नये सिरे से जाने का सभी अवसर भी मिलेगा।

इस कॉलेज के प्राचार्य डॉ ओपी राय ने बताया कि नेशनल कमिशन फार हिस्ट्री आफ साइंस के सदस्य और दिल्ली कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जे.एन. सिन्हा ने वेधशाला की ओर यूनेस्को ( UNESCO ) का ध्यान आकर्षित करने का काम वर्षों पूर्व शुरू किया था। तब से मेरा प्रयास इसे विश्व विरासत सूची में शामिल करने को लेकर जारी था। लगातार प्रयास का परिणाम यह हुआ कि इस ओर यूनेस्को का ध्यान गया और अब मेरा प्रयास सही मायने में सफल हो गया है।

डॉ ओपी राय ने बताया कि वेधशाला और तारामंडल ने उन्नीस सौ सत्तर के दशक की शुरुआत तक संतोषजनक ढंग से काम किया। बाद में शासनिक उपेक्षा की वजह से वेधाशाला का नियमित रूप से क्षरण होता रहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह वेधशाला पूरी तरह से खराब पड़ी हैं। वेधशाला में कई महंगी मशीनें या तो खो गई हैं या कबाड़ हो गई हैं।
ये है वेधशाला का इतिहास
आपको बता दें कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तर्ज पर बने लंगट सिंह कॉलेज परिसर में 100 वर्ष से भी पहले स्थापित वेधशाला एवं तारामंडल अपना अस्तित्व लगभग खो चुका है। वेधशाला की स्थापना 1916 में हुई थी और उपकरण इंग्लैंड से मंगाये गए थे।

हाल के ही दिनों में लंगट सिंह कालेज ( Langat Singh College ) के प्राचार्य डा. ओपी राय ने बिहार ( Bihar ) सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को पत्र भेजकर इसे चालू कराने का आग्रह किया था। वर्तमान में वेधाशाला कॉलेज के मुख्य भवन के सामने छले करीब चार दशकों से बंद है। देश की प्राचीनतम वेधशालाओं में शामिल इस वेधशाला के लिए कई उपकरण चोरी हो जाने के कारण जरूरी कलपुर्जे भी नहीं मिल रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर एवं देश की वेधशालाओं पर शोध करने वाले जेएन सिन्हा के शोध में बताया कि 1500 वर्ष पहले महान खगोलविद् आर्यभट्ट ने तरेगना कस्बे में वेधशाला बनाई थी। तरेगना से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर लंगट सिंह कालेज है।









